भूख ऐसी ही तो होती है,जो आव देखती है न ताव,
बस झपट ही तो पड़ती है,कभी गन्दगी के ढेर में
तो कभी छप्पन भोगों की थाल मेंतो कभी बाजारों व कोठों की रौनकों में
फर्क सिर्फ़ इतना है भूख मिटने पर कोई कहता है वाह!!!तो किसी के दिल से निकलती है आह!!!
बस झपट ही तो पड़ती है,कभी गन्दगी के ढेर में
तो कभी छप्पन भोगों की थाल मेंतो कभी बाजारों व कोठों की रौनकों में
फर्क सिर्फ़ इतना है भूख मिटने पर कोई कहता है वाह!!!तो किसी के दिल से निकलती है आह!!!
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