बुधवार, 31 दिसंबर 2008

कुछ सरकारी बयान

समय का महत्त्व और रेल मंत्रालय
"यदि आप समय पर अपने गंतव्य पर पहुँचना चाहते हैं तब भारतीय रेल से यात्रा न करें. समय की हमारे लिए कोई कीमत नहीं है"
कर्तव्य और अधिकार वनाम उत्पाद और सेवा निर्माता
"ग्राहक को तंग करना हमारा कर्तव्य भी है और अधिकार भी"
किसके बफादार किसके गले पड़े!
मार्च १९६० में अर्जुन सिंह ने नेहरू से कहा - जीवन भर आपका और आपके परिवार का बफादार रहूँगा. इस बफादारी का ईनाम दिया देश ने. बफादारी एक परिवार की और भुगत रहा है देश.
सरकार और ग्राहक
मध्य प्रदेश सरकार ने विज्ञापन छापा, 'ग्राहक जागो', और ख़ुद सो गई.
"हम पानी और बीमारियाँ बेचते हैं" - नगर nigam जल
"हमने विजली का निजीकरण किया है, जनताकरण नहीं" - विद्युत बोर्ड

"भोपाल देश का सब से हरा भरा, साफ सुथरा और सुंदर शहर है" शिवराज सिंह
(और किसी bhopal को मैं नहीं जानता)
"नागरिक एक दूसरे के प्रति अहिंसा का भाव रखें" पुलिस
(हिंसा हमारा अधिकार है)
मुझ से डरो, मैं वित्तमंत्री हूँ, मेरा काम कर लगाना है, अगर नहीं डरे तो समझ लेना, 'न डरने' पर भी कर लगा दूँगा।
एक मंत्री ने अपने ड्राइवर से पूछा, 'क्या तुम आँख बंद करके कार चला सकते हो?'
ड्राइवर के कहा, 'नहीं'
'अरे तुम इतना भी नहीं कर सकते. हमें देखो, हम आँख बंद करके देश चला रहे हैं' मंत्री बोले
ड्राइवर को गुस्सा आ गया. उसने आँख बंद करके कार चला दी. ............
(.......... आसपास के लोग भागे हुए आए. ड्राइवर को कार से बाहर निकाला, गले लगाया, हार पहनाये और कहा, 'आपने आज धरती का भार हल्का कर दिया'.)

नवर्ष २००९ की शुभकामना

निरंतर पथ पर तुम तो चलते जायो
यूही तुम आगे बढ़ते जायो
असफलता से कुछ सीखो
सफलता को गले का हार बनायो
राही तुम निरंतर पथ पर चलते जायो
वर्ष २००९ आपका मंगलमेय हो
सौरभ

ऑफ़ रेस

फ्री गो sms

youtube

गूगल ट्रांसलेट

music

टाइम एंड डेट

बुधवार, 24 दिसंबर 2008

मीडिया न्यूज़

- भास्कर में छंटनी पर रोक
- राज फिर से इंदौर लॉन्च करेगा ।
- पीपुल्स अब मार्च के बाद अख़बार लॉन्च करने के
- न्यूज़ वेबसाइट में बिच्छू डॉट कॉम के बाद घमासान डॉट कॉम मार्केट में

प्यार हो तो ऐसा ! जानवरों से भेदभाव कैसा ???


आज मेरा वीकेड़ है

रविवार, 21 दिसंबर 2008

मज़ार

आये थे मज़ार पर वो,
दुनियां बदल जाने के बाद।
सर झुकाया भी तो,
हमारे गुज़र जाने के बाद।
अरमां ये थे रू-ब-रू हो,
कुछ तो कह देते ।
बुदबुदाए भी आखिर तो ,
दम निकल जाने के बाद।
हुआ रश्क भी उन पर तो,
फितरत बदल जाने के बाद।
किया इज़हार भी तो,
अलविदा ! कहने के बाद।

निरक्षर मानव

पेड़ के ओखल में कठ्फोड़्वे का घर था
वन पेड़ों से बेजोड़ थाबीहड़ जंगल,
लकड़ियों का खजाना
जैसेजीव जन्तुओं से नहीं
इसे खुदगर्ज़ आदमियों से डर था
वहीं हाथों में कुल्हाड़ी लिए कुछ लकड़ी चोरों का भी दल था
कठ्फोड़्वे और लोगों को जंगल सेबराबरी का आसरा था
पहली कुल्हाड़ी की ठेस
वृक्ष व कठफोड़वे को एक साथ हिला गई
तब कठफोड़वे की निगाह अपनी प्रहारी चोंच के प्रहार पर गई
तने को आश्वासित कर वो उन लोगो पे जा टूटा
अपने आसरे का सिला एक कठफोड़वे ने ऐसे दिया
अब वृक्ष की हर शाखा भी झूम उठी
तेज पवन के झौंकों से
जैसे निकली ध्वनि,
शुक्रिया कह उठीये पेड़ एक विद्यालय
के प्रांगण में था
लोग जहां के अशिक्षित पर
वृक्ष शिक्षा की तहज़ीब में था
परोपकारिता और शिष्ट्ता का पाठ
एक वृक्ष व कठफोड़वा पढ़ गया
अफसोस इतना ही रहा
कि इन्सानियत का मानव
इससे क्यों निरक्षर रह गया ।





ये रहे हमारे अभिनव बिंद्रा बाबू जो निशाने बाजी में सोने का मैडल लेकर आये और देश का मान बढ़ाया इन्हें दिये सरकार ने तीन करोड़ रुपये........


ये हैं हमारे देश के शहीद को सम्मान देते लोग जिसने देश की रक्षा करते जान दे दी इन्हें सरकार मरणोपरान्त देती है पांच लाख रुपये.......जो कि पता नहीं कितने चक्कर लगाने के बाद परिवार को मिलेंगें क्योंकि सरकार के द्वारा दी गई पुरुस्कार राशि बरसों बरस फाइलों में अटकी रहती है।क्या करें ऐसे राजनेताओं का?????????







मस्त फिगर का चस्का , अंग अंग...

हरियाणा के मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उप मुख्‍यमंत्री चंद्रमोहन को पद से हटा दिया है। पार्टी के प्रवक्‍ता ने बताया कि चंद्रमोहन पिछले 50 दिनों से अपने कार्यालय से गैरहाजिर हैं.लेकिन ये बात किसी से छुपी थोड़े ही है नवाब साब आजकल एक खूबसूरत छोकरी के इश्क मे निकम्मे हो रहे है न उन्हें जनता का दुःख दिखाई देता है ना ख़ुशी उन्हें तो सिर्फ अपनी मासूका का चेहरा नजर आता है और वे दुनिया से बेखबर सारा दिन मासूका के साथ कमरे मे बंद रहते है अब भैया जो खबर हम तक आई है सो आप को बता रहे है !
भैया तो आजकल देश मे फ़ैल रहा आतंकवाद,गरीबी और न जाने कितनी समस्याए है लेकिन वो हल कैसे होगी जब हमारे उप मुख्‍यमंत्री ही ऐसे हो ! खैर चंद्रमोहन जी भी जवानी ख़त्म होने से पहेले ही मजे लूटना चाहते है उनका सोचना भी शयद ठीक है की गरीब फिर पैदा होंगे और फिर परेशान करेंगे सो कुछ नया करो !खैर आगे की खबर भी कुछ ऐसी है हुड्डा ने उप मुख्‍यमंत्री चंद्रमोहन को कर्तव्‍य-पालन में शिथिलता बरते जाने पर हटाने का निर्णय लिया. चंद्रमोहन एक माह से गैरहाजिर चल रहे थे. इस वजह से आम जनता में भी चंद्रमोहन की नकारात्‍मक छवि बनती जा रही थी.नए उप मुख्‍यमंत्री के तौर पर अब तक किसी का नाम सामने नहीं आया है. इधर, चंद्रमोहन के भाई और हरियाणा जनहित कांग्रेस के नेता कुलदीप विश्नोई का कहना है कि चंद्रमोहन की इस हरकत से परिवार शर्मिंदा है.अब जिसका पूता इतना अच्छा होगा बह परिवार सर्मिन्दा नहीं होगा तो क्या गर्व महसूस करेगा !!जब तक आशिक kism के नेता भारत को मिलते रहेंगे तब तक बंटाधार होता रहेगा

जब आमदनी हो कम....

जब आमदनी हो कम,खर्च हो ज्यादा।जब भैंस दूध दे कम ,चारा खाये ज्यादा ।जब खुसी हो कम ,आँसू हो ज्यादा ।जब दमखम वाले नेता हों कम आतंकवादी हों ज्यादा ।सिलिण्डर हो कम ,लाईन हो ज्यादा ।अटल जी हों कम, अंतुले हो ज्यादा ।फिर भी हौसला रखें क्योंकि ,कितनी भी काली रात हो सवेरा अवश्य होता है ।9999 गलती के बाद ही ऐडीसन बल्ब बनाते हैं ।दसवीं फेल होने के बाद ही आईनस्टीन जैसे वैज्ञानिक बनते हैं ।वेंगसरकर के भोंकने के बाद ही द्रविड़ सतक बनाते हैं

स्वप्न यूँ मरते नहीं हैं

हो गया इतिहास लोहित
यदि हमारे ही लहू सेहै खड़ा विकराल अरि द्रुत छीनता विश्रान्ति भू सेबादलों की हूक से पर्वत-हृदय डरते नहीं हैं स्वप्न यूँ मरते नहीं हैं तीन रंगों से बनी जोहै वही तस्वीर प्यासीभारती के चक्षु कोरों पर उगी कोई उदासी किंतु ये मोती पिघलकरधीरता हरते नहीं हैं स्वप्न यूँ मरते नहीं हैं यह नहीं दावा किसोते पर्वतों से चल पड़ेंगेंया कि सदियों से सुषुप्त ललाट पर कुछ बल पड़ेंगेंपर अवनि के पार्थ यूँ गाँडीव को धरते नहीं हैंस्वप्न यूँ मरते नहीं हैंहै कठिन चलना अगर कठिनाइयों के पत्थरो परविश्व हेतु उठा हलाहल को लगाना निज- अधर पर शंकरो पर विषधरो के विष असर करते नहीं हैं स्वप्न यूँ मरते नहीं हैं

करेगा तामीर प्यार का तू मकान कब तक ?

रहेंगे हम,
घर में अपने ही मेहमान कब तकरखेंगे यूं बन्द ,
लोग अपनी जुबान कब तकफ़रेब छल,
झूठ आप रखिये सँभाल साहिबभरोसे सच के भला चलेगी दुकान कब तकचलीं हैं कैसी ये नफ़रतों की हवायें यारोबचे रहेंगे ये प्यार के यूं मचान कब तकहैं कर्ज सारे जहान का लेके बैठे हाकिमचुकाएगा होरी,
यार इनका लगान कब तकइमारतों पर इमारतें तो बनायी तूनेकरेगा तामीर प्यार का तू मकान कब तकरही है आ विश्व-भ्रर से कितनी यहां पे पूंजीमगर रहेंगे लुटे-पिटे हम किसान कब तकरहेगा इन्साफ कब तलक ऐसे पंगु बन करगवाह बदलेंगे आखिर अपना बयान कब तकदुकान खोले कफ़न की बैठा है 'श्यम' तो अबभला रखेगा 'वो' बन्द अपने मसान कब तकमफ़ाइलुन फ़ा,मफ़ाइलुन फ़ा,मफ़ाइलुन फ़ा

समोसे ने दिया गूढ़ ज्ञान कि भरपेट खाकर जाना ठीक होगा या खाली पेट ?




कल समोसा खाने के लिए एक मित्र ने जोर डाला तो समोसा की प्लेट बनाकर जिस कागज पर दूकान वाले ने समोसे दिए थे , उस पर एक गहरी निगाह पड़ी , तो एक बढिया आलेख मिला डॉ. सुशील जोशी का लिखा हुआ । आप भी इस लेख को पढ़कर अपना तर्क लगाएं , क्योंकि मुझे तो कुछ निश्चित नही समझ में आया की खाएं की न खाएं!!!
यह काफी रोचक पर गंभीर सवाल है कि यदि आप परीक्षा देने जा रहे हैं तो भरपेट खाकर जाना ठीक होगा या खाली पेट। खासकर यह सवाल माता-पिता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। मगर यहां जो जानकारी दी जा रही है, उसके आधार पर कोई निर्णय न करें क्योंकि इसमें ढेर सारे अगर-मगर लगे हैं। इसलिए लेख को पढ़ते हुए अपने तर्क बुद्धि को ही सबसे ऊपर रखें।इस चेतावनी के बाद सवाल पर लौटते हैं। कई लोग मानते हैं कि नाश्ता दिन का सबसे महत्वपूर्ण भोजन होता है और बेहतर यही होगा कि सुबह अच्छे से नाश्ता कर लिया जाए। मगर इस बारे में निर्णय करने से पहले कुछ बातों पर गौर करें क्योंकि यह सलाह आजकल विवाद के घेरे में है। वैसे इस सलाह की जड़ें एक जीव वैज्ञानिक धारणा में देखी जा सकती हैं। हम भोजन में विभिन्न पोषक पदार्थ लेते हैं। बाकी शरीर तो अपनी ऊर्जा का काम अलग-अलग पोषक पदार्थों से चला लेता है मगर दिमाग को सिर्फ ग्लूकोज चाहिए जो ग्लूकोज से प्राप्त होता है। इसलिए माना गया कि कार्बोहाइड्रेट दिमाग के कामकाज के लिए अनिवार्य हैं। कार्बोहाइड्रेट में मूलतः स्टार्च और शर्कराओं को शामिल किया जाता है क्योंकि सेल्लुलोज नामक कार्बोहाइड्रेट को हम पचा नहीं सकते।
ग्लूकोज का ३-डी आणुविक चित्र )
पहले तो यह कहा गया कि ग्लूकोज दिमाग के कामकाज के लिए जरूरी है मगर आगे चलकर बात थोड़ी बदलकर यह हो गई कि जितना अधिक ग्लूकोज मिलेगा, दिमाग उतना बढ़िया काम करेगा। याद है ‘शक्तिमान’ ग्लूकोज बिस्कुट का दीवाना है। इसी के आधार पर यह सलाह दी जाने लगी कि यदि आपको दिमागी काम करना है तो शक्कर खाएं या कम से कम कार्बोहाइड्रेट की अच्छी खुराक ले लें। इसी के साथ हम आ जाते हैं पहले अगर-मगर पर। यह सही है कि शर्करा मिलने से दिमाग में सक्रियता आती है । मगर यह भी देखा गया है कि कार्बोहाइड्रेट या शक्कर की खुराक के बाद दिमाग में जो सक्रियता पैदा होती है उसके बाद उतनी ही तेजी मंदी भी आती है।
दूसरा ‘मगर’ थोड़ा घुमावदार है। पहले किए गए प्रयोगों में देखा गया था कि कार्बोहाइड्रेट का सेवन करते ही खून में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ती है। मगर बाद में पता चला कि वे प्रयोग ग्लूकोज पिलाकर ही किए गए थे। आम तौर पर कोई भी व्यक्ति इस तरह ग्लूकोज तो नहीं पीता। हम आम तौर पर कार्बोहाइड्रेट का सेवन स्टार्च यानी मंड के रूप में करते हैं। इसका पाचन होकर ग्लूकोज बनने और उस ग्लूकोज के खून में पहुंचने में समय लगता है। इसलिए भोजन के तुरंत बाद खून में ग्लूकोज की बाढ़ नहीं आती। इसी से जुड़ी दूसरी बात यह है कि जैसे ही खून में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ती है, वैसे ही हमारे शरीर की एक अन्य ग्रंथि - अग्न्याशय यानी पन्क्रियास - इन्सुलिन का निर्माण शुरू कर देती है। इन्सुलिन का एक उपयोग तो यह है कि इसकी उपस्थिति में कोशिकाएं ग्लूकोज को सोख पाती हैं। मगर इन्सुलिन की एक भूमिका यह भी है कि वह जिगर यानी लीवर को उकसाता है कि अतिरिक्त ग्लूकोज को एक अन्य पदार्थ ग्लायकोजन में बदलकर संग्रहित कर ले। जब खून में ग्लूकोज की मात्रा कम होती है t title="Click to correct" class="transl_class" id="515">तो लीवर इस ग्याकोजन को ग्लूकोज में बदलकर खून में छोड़ देता है। खून में ग्लूकोज की मात्रा पर नियंत्रण रखा जाता है और ऐसा नहीं है कि कार्बोहाइड्रेट खाते ही ग्लूकोज की बाढ़ आ जाए या थोड़ी देर न खाने पर अकाल पड़ जाए। शरीर में ग्लूकोज नियंत्रण का एक तरीका और भी है जो खासकर दिमाग में काम करता है। दिमाग में कुछ कोशिकाएं होती हैं जिन्हें एस्ट्रोसाइट कहते हैं। जब दिमाग में पहुंचने वाले खून में पर्याप्त ग्लूकोज होता है तो एस्ट्रोसाइट उसे ग्लायकोजन में बदलकर सहेज लेती हैं और समय आने पर तंत्रिका कोशिकाएं इसे प्राप्त कर सकती हैं। ऐसा बहुत कम होता है कि दिमाग में इतनी गतिविधि हो कि एस्ट्रोसाइट भी खाली हो जाएं और ग्लूकोज खाकर उसकी पूर्ति करनी पड़े। यह एक मिथक ही है कि चूंकि दिमाग ग्लूकोज पर जिंदा है, इसलिए ग्लूकोज खाने से वह बहुत बढ़िया काम करेगा। चूहों पर किए गए कुछ प्रयोगों से पता चला था कि जब उन्हें शक्कर की खुराक देकर कुछ अक्ल के काम करने को दिए जाते हैं तो उनका प्रदर्शन बेहतर होता है। फिर इसी प्रयोग को थोड़ा बदले हुए रूप में किया गया। ग्लूकोज का एक परिवर्तित रूप होता है मिथाइल ग्लूकोज , वैसे तो कोशिकाएं इसका अवशोषण ठीक ग्लूकोज की तरह करती हैं मगर इससे उन्हें कोई ऊर्जा नहीं मिलती। लिहाजा वे इसे वापिस उगल देती हैं। यानी मिथाइल ग्लूकोज एक बेकार अणु है। मगर प्रयोगों में देखा गया कि यह उतना बेकार भी नहीं है। मिथाइल ग्लूकोज की खुराक के बाद भी चूहों का प्रदर्शन बेहतर रहा। तो लगता है कि इस अणु के कोशिका में प्रवेश करने की क्रिया मात्र से दिमाग के कामकाज में तेजी आती है। कहने का मतलब यह है कि दिमाग को बहलाया भी जा सकता है। कुल मिलाकर लगता है कि हमारे शरीर में ग्लूकोज पर बढ़िया नियंत्रण रखा जाता है। तो इस बात से क्या फर्क पड़ता है कि आप नाश्ता करें या न करें? शायद फर्क पड़ता है। पिछले कई वर्षों में किए गए अनुसंधान की समीक्षा के बाद ले गिब्सन इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि हल्का-फुल्का नाश्ता खाने से दिमाग में याददाश्त की गतिविधि तेज होती है। उनका मत है कि करीब 100 कैलोरी यानी एक केला ठीक है। मगर साथ ही वे यह चेतावनी भी देते हैं कि कुल कार्बोहाइड्रेट की बनिस्बत ज्यादा महत्व इस बात का है कि उसका ग्लायसेमिक सूचकांक कितना है। ग्लायसेमिक सूचकांक से पता चलता है कि उस कार्बोहाइड्रेट को पचने में कितना समय लगता है। कम सूचकांक वाले भोजन देर से पचते हैं जबकि उच्च सूचकांक वाले भोजन एक झटके में अपनी ऊर्जा दे डालते हैं। गिब्सन का मत है कि दिमागी काम से पहले कम ग्लायसेमिक सूचकांक वाला भोजन ठीक रहेगा। प्रयोगों में देखा गया है कि यकायक ग्लूकोज प्रदान करने वाले भोजन देने पर चूहों का प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं रहा। आखिर क्यों? यहां शरीर के एक और नियंत्रण तंत्र पर गौर करना होगा। यह तंत्र एक हारमोन कॉर्टिसॉल पर निर्भर है। यह हारमोन तनाव की प्रतिक्रिया स्वरूप पैदा होता है। यह शरीर को लड़ने या भागने के लिए तैयार करता है - दोनों में ही ऊर्जा की जरूरत होती है। ऐसा लगता है कि थोड़ा-सा कॉर्टिसॉल तो दिमाग के प्रदर्शन को बेहतर बनाता है मगर ज्यादा हो, तो तनाव पैदा करता है जो दिमागी काम के लिए ठीक नहीं है। प्रयोगों से पता चला है कि उच्च ग्लायसेमिक सूचकांक वाले कार्बोहाइड्रेट के सेवन से शरीर में कॉर्टिसॉल की मात्रा बढ़ती यहां एक संतुलन जरूरी हो जाता है - दिमाग के काम के लिए ग्लूकोज और इस ग्लूकोज के कारण कॉर्टिसॉल की बढ़ती मात्रा के बीच। तो यदि आप तनाव में नहीं हैं तो ग्लूकोज आपको दिमागी काम में मदद करेगा मगर यदि आप पहले से तनाव में हैं तो यही ग्लूकोज तनाव को बढ़ा भी सकता है। और ये सारे प्रयोग व निष्कर्ष शाब्दिक याददाश्त के परीक्षणों पर आधारित हैं। इस तरह के कामों में दिमाग के जिस हिस्से - हिप्पोकैम्पस - का उपयोग होता है उसके कामकाज पर कॉर्टिसॉल का प्रतिकूल असर होता है। मगर यदि आप शाब्दिक कामकाज की बजाय ऐसा कोई काम करने जा रहे हैं जिसमें तेज प्रतिक्रिया की जरूरत है तो बात अलग हो जाती है। जैसे यदि आप टेनिस जैसा कोई खेल खेलने जा रहे हैं। इस तरह के कामकाज से सम्बंधित प्रयोगों में देखा गया कि सबसे अच्छा प्रदर्शन तो उन लोगों का रहा जो भूखे पेट आए थे। इसके बाद नंबर था उच्च ग्लायसेमिक सूचकांक कार्बोहाइड्रेट वालों का और सबसे s" id=1317 title="Click to correct">फिसड्डी थे कम ग्लायसेमिक सूचकांक वाले। तो यदि तेज प्रतिक्रिया का खेल हो, तो थोड़ा भूखे रहना ही बेहतर होगा। ऐसा क्यों? फिर एक बार संतुलन की बात आ जाती है। और यह संतुलन तभी हो सकता है जब आप न बहुत ज्यादा खाएं, न बहुत कम। ग्लायसेमिक सूचकांक का भी ध्यान रखें आम तौर पर कम सूचकांक वाले भोजन बेहतर माने जाते हैं। मगर चौकन्नापनजरूरी हो, तो शायद ज्यादा सूचकांक वाले भोजन अच्छे साबित हो सकते हैं। कुल मिलाकर निष्कर्ष यही है कि जो कुछ करना है अपने हिसाब से करें। ऊपर यह गई बातें यह समझने में मददगार हो सकती हैं कि आप जैसा करते हैं वैसा ही क्यों करते हैं या शायद आपके शरीर की प्रकृति कैसी है। यहां प्रस्तुत अधिकांश जानकारी साइंटिस्ट पत्रिका में प्रकाशित लेख से प्रेरित है , अच्छी लगी तो आपको भी बता दीं। बाकी आप अपनी जानें।

मीडिया की ख़बर

- राज में एक बार फिर राजनितिक का दौर शुरु हो गया है।
- भास्कर में भोपाल से तीन पत्रकार को हटा दिया गया है। इंदौर सिटी भास्कर से गौरव तमेय्क्र को हटा गया है । इसके अलावा अब भी तीस पत्रकारों की छंटनी तय है।
- डेल्ही मीडिया हाउस में छंटनी का दौर शुरु हो चुका है। वहा के पत्रकार मध् प्रदेश में जॉब की तलाश कर रहे है।
- दैनिक जागरण में छंटनी नही होगी। साथ ही भरती वि नही की जायगी ।
- पीपुल्स २६ जनवरी से पेपर लॉन्च करग्या ।
- श्री राम तिवारी राज में
- भास्कर डीबी स्टार बंद करने के मुड में

मंगलवार, 16 दिसंबर 2008

सोमवार, 15 दिसंबर 2008

दाग


समुन्दर में तूफानों को उठते हुए देखा,नदी तालों को भी उफनाते हुए देखा,अश्क से दामन को भिगोते हुए देखा,पर उस पर लगे दाग को मिटते नहीं देखा.जिंदगी को जिन्दादिली से जीते देखा,मौत को भी हंस कर गले लगाते देखा,जिंदगी से मौत की टकराहट देखा,पर जिंदगी व मौत को साथ निभाते नहीं देखा.दोस्त को दुश्मन के गले लगते देखा,पीठ में छुरा उन्हें भोंकते देखा,गम के अंधेरों में दोनों को सिसकते देखा,नदी के दो पाटों की तरह दिल को मिलते नहीं देखा.चाँद तारों को जमीन पर उतरते देखा,पंख परवाजों को आसमान को छूते देखा ,धरती में ही स्वर्ग कहीं बनते हुए देखा,अम्बर को धारा से मिलते नहीं देखा.हमने बचपन भी देखा पचपन भी देखा,बीती हुयी जिंदगानी देखा,बहती हुयी रवानी देखा,पर कहते हैं जिसे किस्मत उसको ही नहीं देखा.

भूख


भूख ऐसी ही तो होती है,जो आव देखती है न ताव,
बस झपट ही तो पड़ती है,कभी गन्दगी के ढेर में
तो कभी छप्पन भोगों की थाल मेंतो कभी बाजारों व कोठों की रौनकों में
फर्क सिर्फ़ इतना है भूख मिटने पर कोई कहता है वाह!!!तो किसी के दिल से निकलती है आह!!!

चंदा सी ...

चंदा सी ठांव होपेड़ों की छाँव होजहाँ देवों के पाँव होंघर ऐसा होना चाहिए।जहाँ कोयल की कूक होपायल की रुनझुन होसरगम की गुनगुन होघर ऐसा होना चाहिए।जहाँ बुजुर्गों का मान होछोटों का सम्मान होआपस में विश्वास होघर ऐसा होना चाहिए।जहाँ स्नेह रूपी माल होकर्म रूपी चाल होमर्म रूपी ज्ञान होघर ऐसा होना चाहिए।जहाँ ईश्वर में आस होधर्म में विश्वास होफर्ज का अहसास होघर ऐसा होना चाहिए।

हम होंगे कामयाब


मन में है विश्वास,पूरा है विश्वास
हम होंगे कामयाब एक दिन

शनिवार, 13 दिसंबर 2008

मीडिया न्यूज़

- दैनिक भास्कर में 200 मीडिया worker को T.L नोटिस
- senior jouranlist L.N. shital जल्द ही अपना न्यूज़ वेबसाइट launch krangay
- राज न्यूज़ पेपर से तीन journalist भास्कर join kraney के mud में । januray month का unhay appointmen leter दिया गया है ।
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भगदड़ खत्म कराने तोमर- दवे ने संभाला माइक

भोपाल। मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह का साक्षात्कार करने पहुंचे पार्टी जनों के लिए जंबूरी मैदान भी कम पड़ गया। हर दस-पंद्रह मिनट बाद कार्यकर्ताओं में कुर्सी हासिल करने के लिए भगदड़ मचती रही। प्रेस दीर्घा के पीछे खाली पड़ी कुर्सियों पर कब्जा जमाने के लिए लोगों ने दौड़ लगाई। कुर्सी पर जमने के बाद कार्यकर्ता हाथों में झंडे-पोस्टर लेकर मुख्यमंत्री जिंदाबाद के नारे लगाते रहे। इस हंगामे को शांत करने के लिए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर और भाजपा के उपाध्यक्ष अनिल दवे को कई बार माइक संभालना पड़ा।
कार्यकर्ताओं ने बैरिकेटस तोड़कर विधायक, सांसद, प्रशासनिक अधिकारियों की गैलरी में कब्जा जमा लिया। कार्यकर्ता इन गैलरियों के पीछे खड़े होकर नारेबाजी करने लगे। प्रदेशाध्यक्ष श्री तोमर ने माइक पर विधायक जयसिंह मरावी, सांसद गौरीशंकर बिसेन सहित अन्य नेताओं के नाम लेकर उनके कार्यकर्ताओं को काबू में करने के लिए कहा।
इधर अपने लिए निर्धारित गैलरी में जगह नहीं मिलने पर सांसद और विधायकों को प्रेस गैलरी का सहारा लेना पड़ा। सबसे पहले राज्यसभा सदस्य मायासिंह, उनके पति ध्यानेन्द्र सिंह ने प्रेस गैलरी में प्रवेश किया। इसके बाद कैलाश विजयवर्गीय, अरविंद भदौरिया, करण सिंह वर्मा, लोकेन्द्र सिंह, महेन्द्र हर्डिया, गौरीशंकर शैजवार, प्रेमनारायण ठाकुर भी प्रेस गैलरी में आ गए।
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अन्य झलकियां
-उसी जगह पर मंच बनाया गया,जहां कार्यकर्ता महाकुंभ के दौरान बनाया गया था
-मंच पर आने के लिए पीछे से दो प्रवेश द्वार बनाए गए थे।
- अतिविशिष्ट लोगों की दीर्घा में बुधनी से आए कार्यकर्ताओं ने कब्जा जमा लिया। बाद मे अतिविशिष्ट व्यक्तियों के लिए पुलिस अधीक्षक जयदीप प्रसाद ने कुर्सियां लगवाई।
- धर्मगुरुओं का मंच पर शाम चार बजे आना शुरू हुआ।
- कुर्सी संभालने के लिए कार्यकर्ताओं की दौड़ के कारण जंबूरी मैदान में धूल के गुबार उड़ते रहे।
- कार्यकर्ता पंडाल के बाहर बस के ऊपर बैठकर शपथ समारोह देख रहे थे।
- उत्साहित कार्यकर्ता शिवराज मामा जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे। इसमें 70 साल के कार्यकर्ता भी शामिल थे।
-मंच के सामने तिरंगा लहरा रहा था।
- पूरे ग्राउंड में अलग-अलग रंग के झंडे लगाए गए थे।
-मैदान में गुब्बारे भी लगाए गए थे। बीच बीच में गुब्बारे आसमान में छोड़े गए। श्री चौहान के के शपथ लेते ही पूरे गुब्बारे आसमान में उड़ा दिए गए।
- एक कार्यकर्ता कमल के फूलों की हैट लगाकर विधायक गैलरी में बैठा हुआ था।
- कार्यकर्ताओं के लिए भोजन की व्यवस्था की गई थी, लेकिन वहां होमगार्ड और सुरक्षा कर्मियों ने भोजन के पैकेट और पानी के पाउचों पर हाथ साफ किए।
- कार्यकर्ताओं के लिए पेयजल के लिए पाइप लाइन और स्टैंड बनाया गया था। बाहर से आए कार्यकर्ता उस पानी में नहाते दिखे।

बादल के गनमैन ने पुलिस अफसरों के उड़ाए होश

भोपाल। जंबूरी मैदान के बाहर पिस्टल लेकर दौड़ रहे एक युवक को देखकर पुलिस अफसरों के होश उड़ गए। दौड़ने वाला युवक सादे कपड़े में था और उसकी कमर में पिस्टल दबी थी। उसकी हरकत देखकर अफसरों ने उसे दबोच लिया। पूछताछ में वह पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का गनमैन निकला।
वाकया शपथ ग्रहण समारोह के बाद का है। शपथ ग्रहण के समारोह में शिरकत करने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री श्री बादल भी आए थे। उनके काफिले में दो गाड़ियां थीं। एक गाड़ी में खुद श्री बादल और दूसरी में उनकी सुरक्षा टीम थी। श्री बादल जब मंच पर थे, तब उनका गनमैन इधर-उधर हो गया। भीड़-भाड़ के कारण श्री बादल मैदान से बाहर आए और गाड़ी में बैठकर निकल गए। जब यह बात उनके गनमैन को पता चली तो उसने गाड़ी पकड़ने के लिए दौड़ लगा दी। वह सादे कपड़े में था। उसकी कमर में पिस्टल दबी थी।
उसके दौड़ने के तरीके से वहां मौजूद पुलिस अफसरों और लोगों के होश उड़ गए। वहां मौजूद एएसपी नया शहर एके पांडे ने उसे दबोच लिया। गनमैन ने श्री पांडे को बताया कि वह मुख्यमंत्री का सुरक्षा अधिकारी है। पुलिस अफसर उसकी बात पर विश्वास नहीं कर रहे थे। पीछे से श्री बादल के काफिले की दूसरी गाड़ी आ रही थी। उस गाड़ी में एसपी मुख्यमंत्री सुरक्षा बैठे थे। श्री पांडे ने गनमैन के बारे में उसने पूछा, तब उन्होंने बताया कि यह मुख्यमंत्री का सुरक्षा अधिकारी है। इसके बाद श्री पांडे ने उसी गाड़ी में उसे बैठा दिया।

उमा का डूंडा गांव डूबा अंधेरे में

टीकमगढ़। दो दिन पहले बिजली विभाग ने डूंडा ग्राम पंचायत की बिजली काट दी। डूंडा के अलावा पंचायत के कबराटा और राजापुर गांव भी अंधेरे में डूब गए। पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री उमाभारती के गृह ग्राम डूडा गांव की बिजली गुल होने को लेकर विभाग बिल जमा न होने पर बिजली काटने की बात कहता है।
डूंडा ग्राम पंचायत के अंतर्गत डूंडा गांव, कबराटा और राजापुर गांव सम्मिलित हैं। सुश्री उमाभारती के गृह ग्राम डूंडा की आबादी करीब 3 हजार है। विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के दूसरे दिन ही यहां की बिजली काट दी गई। गांव के नब्बू कुशवाहा, जयराम लोधी, हल्के लोधी कहते हैं कि मेरे गांव के साथ सरकार ज्यादती कर रही है। अधिकारी और कर्मचारी जानबूझकर इस गांव को उपेक्षाग्रस्त बनाए हैं। गांव के ही राममिलन तिवारी, देशराज लोधी, कल्ला सौंर, गोकुल लोधी, रतिराम पाल, रामदयाल भी कहते हैं कि सुश्री उमाभारती इस गांव की रहने वाली हैं, जिस कारण सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। डूंडा गांव को पूरी तरह अंधेरे में कर दिया गया।
वहीं कुछ ग्रामीण कहते हैं कि बिजली के बिल सूखा के कारण कुछ समय के लिए नहीं चुकाए जा सके। बिजली विभाग ने जबरन बिल बढ़ाकर थोपे हैं और डूंडावासियों पर बड़ी रकम बिल की निकाल दी है।
विद्युत वितरण केन्द्र बड़ागांव धसान के ओआईसी पीएन यादव कहते हैं कि डूंडा ग्राम पंचायत के रहवासियों पर करीब 7 लाख की राशि बिजली बिल की बकाया है। यह राशि जमा नहीं की गई है, जिस कारण दो दिन पहले बिजली काटी गई है। दो ट्रांसफार्मर बंद किए गए हैं।
सांसद व विधायक निधि से नहीं फूटी कौड़ी
सुश्री उमाभारती की गृह ग्राम पंचायत डूंडा में पिछले तीन साल में गिनती के काम दिए गए। उनकी भी राशि जारी नहीं की गई। पंचायत सचिव रमेशकुमार सोनी बताते हैं कि तीन साल में महज 8 लाख रुपए के काम कराए गए हैं। कुछ और काम स्वीकृत हुए थे, जिनकी राशि जारी नहीं की गई है। इतना ही नहीं, सांसद निधि और विधायक निधि से भी इस पंचायत को एक फूटी कौड़ी विकास के नाम पर नहीं दी गई।

नए संकल्प के साथ फिर सीएम बने शिवराज

भोपाल। गोधूलि बेला से ठीक पहले शुक्रवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर मुख्यमंत्री बने। जंबूरी मैदान पर हजारों की भीड़ के बीच राज्यपाल डॉ. बलराम जाखड़ द्वारा उन्हें प्रदेश के 29वें मुख्यमंत्री के तौर पर पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस मौके पर लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह, मुरलीमनोहर जोशी, जसवंत सिंह, वेंकैया नायडू, अनंत कुमार सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेता आशीष देने मौजूद थे। सभी धर्मो के धर्माचार्य भी शिवराज और उनकी सरकार के लिए प्रार्थना करने के साथ आशीर्वाद दे रहे थे।
पांव-पांव वाले भैया और लाड़ली लक्ष्मी के मामा को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते देखने के लिए प्रदेश के लगभग सभी जिलों से बड़ी तादाद में लोग आए। इस आयोजन में करीब पौने पांच बजे शिवराज ने अकेले ही ईश्वर के नाम पर हिंदी में पद और गोपनीयता की शपथ ली। वे अपने मंत्रिमंडल का गठन बाद में करेंगे। पिछली बार के मुकाबले इस बार उनकी आवाज आत्मविश्वास से लबरेज थी, लेकिन शपथ के बाद जनता जनार्दन का दोनों हाथ जोड़कर अभिवादन करते शिवराज की वही पुरानी विनम्रता लोगों का दिल जीत रही थी। शपथ लेने के बाद कागजी औपचारिकता पूरी करते ही राज्यपाल डॉ. जाखड़ ने उन्हें गले लगाकर शुभकामनाएं दीं। मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ नेता आडवाणी और स्वामी सत्यमित्रानंद के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। राजनाथ सिंह, जसवंत सिंह, प्रदेश के चुनाव प्रभारी एम. वेंकैया नायडू, प्रभारी महामंत्री अनंत कुमार, वरिष्ठ नेता मुरलीमनोहर जोशी, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल, पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा व कैलाश जोशी तथा वरिष्ठ नेता प्यारेलाल खण्डेलवाल से मिलकर बधाई स्वीकारी। शिवराज को शुभकामनाएं देने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, उत्तरांचल के मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूरी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी सहित कई नेता मौजूद थे।
हेमा-स्मृति के साथ खिंचाया फोटो
शपथ लेने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री ने मंच से ही वरिष्ठ नेताओं के साथ जनता का अभिवादन स्वीकार किया। इस बीच उन्होंने फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी, स्मृति ईरानी तथा नवजोत सिंह सिद्धू समेत अन्य नेताओं के साथ फोटो खिंचवाया और हाथ हिलाकर जनता की मुबारकबाद स्वीकार की।
कमला और प्रतिभा भी आई
मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में लोकसभा में विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी की पत्नी कमला आडवाणी और बेटी प्रतिभा आडवाणी भी शामिल हुई। शिवराज सिंह चौहान की धर्मपत्नी साधना सिंह मंच पर उनके साथ मौजूद थीं।
ये नेता भी रहे मौजूद
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह सुरेश सोनी, विभाग प्रचारक विनोद अग्रवाल, क्षेत्र प्रचारक श्रीकृष्ण माहेश्वरी, कलराज मिश्र, प्रभात झा, राजीवप्रताप रूडी, रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर, थावरचंद गेहलोत, सत्यनारायण जटिया, सुमित्रा महाजन, श्याम जाजू, अमित ठाकर, प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, प्रदेश संगठन महामंत्री माखन सिंह, सह संगठन महामंत्री भगवतशरण माथुर व अरविंद मेनन आदि। पूरे आयोजन की कमान प्रदेश उपाध्यक्ष अनिल दवे व विजेश लूनावत संभाले हुए थे। मीडिया इंजार्च गोविंद मालू, चेतन्य कश्यप, रजनीश अग्रवाल, शैलेंद्र शर्मा भी मंच समेत अन्य व्यवस्थाएं देख रहे थे।
रवींद्र जैन ने खूब सुनाए भजन
कार्यक्रम के पहले और बाद में बॉलीवुड संगीतकार रवीन्द्र जैन एवं उनके आर्केस्ट्रा ने भजन और देशभक्ति गीत पेश किए।

मंगलवार, 9 दिसंबर 2008

पचोरी मध्य प्रदेश से आउट ,दिग्गी की वापसी तय

मध्य प्रदेश में कांग्रेस की हार से एक बार फिर लीडर में परिवर्तन होने की सम्भाना बढ़ गयी है । कॉंग्रेस एक बार फिर दिग्विजय सिंह को प्रदेश में कमान सौप सकती है । विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार से सुरेश पचोरी की वापसी तय मानी जा रही है । कॉंग्रेस सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनाव से पूर्व परिवर्तन के आसार है ।
रिपोर्टर : कुमार सौरभ

रविवार, 7 दिसंबर 2008

सीबीआई में प्रतिनियुक्ति पर जाएंगे शापू

भोपाल। मध्यप्रदेश के 1998 बैच के आईपीएस अफसर व देवास एसपी शाजिद फरीद शापू सीबीआई में प्रतिनियुक्ति पर जा रहे हैं। उनके सीबीआई में जाने की राज्य सरकार ने भी सहमति दे दी है।
एसपी स्तर के अधिकारियों की कमी के चलते राज्य सरकार पहले उन्हें छोड़ने को राजी नहीं थी। अब राज्य सरकार ने अपनी सहमति दे दी है। उधर केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर 2009 में प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले अफसरों की सहमति मांगी है। सहमति जानने के लिए गृह विभाग ने मध्यप्रदेश के सभी आईपीएस अफसरों को पत्र लिखा है। आईपीएस अफसरों की सहमति मिलने के बाद उसे केंद्र सरकार को भेजा जाता है।

भाजपा के वकीलों का फैसला आठ को

भोपाल। जनता की अदालत में इस बार भाजपा ने पढ़े लिखों की जो फौज उतारी है, उसमें 41 लॉ ग्रेजुएट हैं। इनमें से कुछ वकालत करते हैं तो कुछ विधि स्नातक होने के बावजूद खेती किसानी जैसे कार्य से आजीविका चला रहे हैं।
प्रदेश के मतदाताओं द्वारा 27 नवंबर को ईवीएम में दर्ज किया गया फैसला आठ दिसंबर को सुनाया जाएगा तब इन भाजपा के इन वकीलों के साथ ही सत्रह इंजीनियर और चार चिकित्सकों की किस्मत का भी निर्णय होगा। ये सभी वे लोग हैं जो अपनी व्यवसायिक शिक्षा का उपयोग संबंधित क्षेत्र में करने के बजाए राजनीति में किस्मत आजमा रहे हैं। भाजपा के वकीलों में पहला नाम पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का है। पेशे के तौर पर आज भी वे वकालत करना बताते हैं। पन्ना से फिर मैदान में उतरीं महिला एवं बालविकास मंत्री कुसुम मेहदेले, श्योपुर के उम्मीदवार दुर्गालाल विजय, चित्रकूट से चुनाव लड़ रहे सुरेंद्र गहरवार, देवतालाब के गिरीश गौतम, सीधी के केदार शुक्ला सहित कुल 41 उम्मीदवार विधि के पेशे से जुड़े हुए हैं। केएल अग्रवाल, लड्डूराम कोरी, प्रदीप लारिया, गोविंद पटेल, गिरिजाशंकर शर्मा, विश्वास सारंग सहित कुल आठ उम्मीदवार डिग्रीधारी इंजीनियर हैं। वहीं दिवंगत सुनील नायक समेत नौ प्रत्याशियों ने इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है। चिकित्सा मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार, बीना से उम्मीदवार श्रीमती विनोद पंथी, डॉ. चैन सिंह भवेदी और भिण्ड के रामलखन सिंह पेशे से चिकित्सक हैं।
भाजपा द्वारा उतारे गए 228 उम्मीदवारों में से 51 स्नातकोत्तर डिग्रीधारी हैं। 116 स्नातक हैं तो 63 ने इंटरमीडिएट या इससे कम शिक्षा हासिल की है। इस बार भाजपा प्रत्याशियों में सबसे कम शिक्षा का स्तर विजयपुर से मैदान में उतरे सीताराम आदिवासी का है। उनकी शैक्षणिक योग्यता साक्षर होना है। बड़वानी से विधायक और फिर मैदान में उतरे प्रेम सिंह पटेल चौथी कक्षा तक पढ़े लिखे हैं। शिवपुरी के माखनलाल राठौर पांचवी पास हैं। राजपुर के देवीसिंह सातवीं कक्षा तक पढ़ाई की है। मुलताई के चंद्रशेखर देशमुख, आगर के लालजी राम और चंदला से मैदान में उतरे राज्यमंत्री रामदयाल अहिरवार आठवीं पास हैं। इन कम शिक्षा वालों के बीच नगरीय प्रशासन मंत्री नरोत्तम मिश्रा जैसे नेता भी हैं, जिन्होंने पीएचडी कर रखी है। मिश्रा के अलावा पथरिया से किस्मत आजमा रहे सांसद रामकृष्ण कुसमारिया ने भी पीएचडी की है।
भाजपा उम्मीदवारों की शैक्षणिक योग्यता
कुल प्रत्याशी- 228
स्नातकोत्तर- 51
स्नातक- 116
इंटरमीडिएट या कम- 63
विशेषज्ञ उम्मीदवार
स्नातक इंजीनियर - 8
इंजीनियरिंग में डिप्लोमा- 9
चिकित्सा स्नातक- 4
विधि स्नातक- 41

आईपीएस की डीपीसी इस साल नहीं होगी

आईपीएस अधिकारियों की भविष्य अब काडर रिव्यू पर टिका हुआ है। लंबी मशक्कत के बाद राज्य सरकार ने काडर रिव्यू का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेज दिया है। इसमें आईपीएस का काडर 231 से बढ़ाकर 278 करने का प्रस्ताव है। उधर केन्द्र सरकार ने वर्ष 2008 में आईपीएस की एक भी डीपीसी नहीं करने को कहा है। इससे डीजी के पद रिक्त होने के बावजूद भारतीय पुलिस सेवा के 1975 बैच के अधिकारियों को पदोन्नति के लिए प्रतीक्षा करना पड़ सकती है।
प्रदेश में डीजी वेतनमान का एक पद रिक्त है। यह पद डीजी जेल एआर पवार की सेवानिवृत्तिके बाद रिक्त हुआ है। इस पद को भरने के लिए राज्य सरकार ने वरिष्ठ पदों का हवाला देते हुए केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर डीपीसी के लिए अनुमति मांगी थी। केन्द्र सरकार ने वरिष्ठ अधिकारियों के स्वीकृति से अधिक पद होने के कारण वर्ष 2008 में किसी भी डीपीसी की अनुमति नहीं दी। केन्द्र सरकार का यह पत्र दो दिन पूर्व राज्य सरकार को मिला है। केन्द्र सरकार के इस पत्र से सबसे अधिक नुकसान भारतीय पुलिस सेवा के 1975 बैच के अधिकारियों का होने की संभावना है।
इस बैच में कुख्यात आतंकवादी गाजीबाबा को मारने वाले एडीजी एसएएफ विजय रमन भी शामिल हैं। जबकि दूसरे अधिकारी एडीजी दूरसंचार एचके सरीन हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि रिक्त पद भरने के लिए डीपीसी करने हेतु अनुमति की जरूरत नहीं है। पदोन्नति रोकने के लिए जबरन इस तरह का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा गया था। केन्द्र सरकार के पत्र से आईपीएस अधिकारी काफी नाराज हैं, वे इसके लिए सारा दोष गृह विभाग को दे रहे हैं। इसके पूर्व केन्द्र सरकार ने डीआईजी को आईजी के पद पर पदोन्नति करने के बदले चार अधिकारियों को पदावनत करने को कहा था। केन्द्र सरकार के निर्देश का यदि पालन किया गया तो मध्यप्रदेश के आईपीएस पदोन्नति के मामले में अन्य राज्यों से काफी पीछे चले जाएंगे। प्रदेश के आईपीएस अधिकारियों की निगाहें अब काडर रिव्यू पर टिकी हुई हैं। जिसका प्रस्ताव दो दिन पूर्व राज्य सरकार ने केन्द्र को भेज दिया है। जिसमें प्रदेश में आईपीएस का काडर 231 से बढ़ाकर 278 करने का प्रस्ताव है। वरिष्ठ अधिकारियों के पद 126 से बढ़ाकर 150 किए गए हैं। इसके साथ ही डीजी के पदों की संख्या दो से बढ़ाकर तीन करने का प्रस्ताव है। तीन काडर व तीन एक्स क़ाडर मिलाकर प्रदेश में डीजी वेतनमान के छह अधिकारी रह सकते हैं। वर्तमान में डीजी वेतनमान के चार अधिकारी हैं। आईपीएस के काडर रिव्यू का प्रस्ताव पिछले एक वर्ष से पुलिस मुख्यालय व गृह विभाग के बीच झूल रहा था।

शुक्रवार, 5 दिसंबर 2008

विवाह के लिए 209 पुरुषों का अपहरण

सुनने में भले ही यह अजीबोगरीब लगे, लेकिन सच बात यह है कि ताजा सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में पिछले साल जबरदस्ती विवाह कराने के लिए 209 पुरुषों का अपहरण किया गया। इसमें तीन पुरुष ऐसे भी हैं जिनकी उम्र 50 वर्ष से अधिक थी, जबकि दो की उम्र दस साल से भी कम थी।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो द्वारा जारी भारत में अपराध 2007 रिपोर्ट के अनुसार मजे की बात है कि बिहार एकमात्र ऐसा राज्य है जहां महिलाओं की तुलना में पुरुषों का अधिक अपहरण होता है। इस रिपोर्ट के अनुसार बिहार में 1268 पुरुषों का अपहरण किया गया था जबकि महिलाओं की संख्या इस आंकड़े से छह कम थी।
अपहरण के 27561 मामलों में से 12856 मामले विवाह से संबंधित थे। महिलाओं के अपहरण के पीछे सबसे बड़ा कारण विवाह है। महिलाओं के कुल 20690 मामलों में से 12655 मामले [61.2 प्रतिशत] के पीछे विवाह ही एकमात्र कारण था, जबकि पुरुषों के अपहरण के कुल 7342 मामलों में 596 [8.1 प्रतिशत] में फिरौती मुख्य कारण था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अपहृत युवतियों की सर्वाधिक संख्या 18 से 30 वर्ष की उम्र के बीच है। इस आयु वर्ग की 7930 महिलाओं का अपहरण हुआ। जबकि 15 से 18 वर्ष के बीच अपहृत महिलाओं की संख्या 264 थी।
उधर, अपहृत हुए 417 में से 18 से 30 वर्ष की आयु वर्ग के पांच पुरुष ऐसे थे, जिन्हें वेश्यावृत्ति के लिए अपहृत किया गया था। जबकि इसी उद्देश्य के लिए अपहृत की गई इस आयु वर्ग की महिलाओं की संख्या 264 थी।
पिछले साल कुल 28030 लोगों का अपहरण किया गया। इससे पिछले वर्ष की तुलना में अपहरण के मामलों में 15.4 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। रिपोर्ट के अनुसार पुरुषों [7340] के मुकाबले दोगुनी संख्या में महिलाओं [20690] के अपहरण के मामले दर्ज किए गए।
रिपोर्ट के अनुसार ऐसा एक भी मामला नहीं है जहां शरीर या शरीर के अंगों को बेचने के लिए अपहरण का मामला दर्ज किया गया हो, जबकि भीख मांगने के लिए मजबूर करने वाले लोगों द्वारा अपहरण के 15 मामले दर्ज किए गए।
अपहरण के सबसे ज्यादा मामले [4478] उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए जो कुल संख्या का 16.2 प्रतिशत है। इसके बाद बिहार [2530] का स्थान है।

उमा ने गोविंदाचार्य को सौंपी भाजश की कमान

भोपाल। भारतीय जनशक्ति प्रमुख उमा भारती ने शुक्र वार को अपने पद से त्यागपत्र देने की पेशकश करते हुए राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के गोविंदाचार्य को पार्टी की कमान सौंप दी।
पार्टी के राष्टीय अधिवेशन में उमा भारती ने अपने पद से त्यागपत्र देने की पेशकश करते हुए पार्टी की कमान गोविंदाचार्य को सौंपने के साथ ही पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष संघप्रिय गौतम को पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव पेश किया।
उमा भारती ने कहा कि उन्होने जुलाई माह में ही भाजश की कमान छोड़ने का मन बना लिया था और अब वह एक साधारण कार्यकर्ता की तरह पार्टी के लिए काम करती रहेंगी।
गोविंदाचार्य ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने भाजश की कमान संभाल ली है और वे मकर संक्रांति तक भारत परस्त और गरीब परस्त दलों को एकजुट कर आगे की रणनीति तय करेंगे।
भाजश में उमा भारती की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर गोविंदाचार्य ने कहा कि हमारा गोल स्पष्ट है, लेकिन रोल बदल सकते हैं। उन्होने कहा कि उमा भारती तो सेंटर फारवर्ड हैं और वे कभी भी गोल कर सकती हैं।
एक प्रश्न के उत्तर में लोकसभा का चुनाव लडने से इनकार करते हुए गोविंदाचार्य ने कहा कि चुनाव लड़ने का उनका कोई इरादा नहीं है।

एजेंट जेल में ही रहेंगे कैद

बाहर आ सकेंगे। इसके अलावा प्रत्येक प्रत्याशी को मतगणना एजेंट एवं स्वयं के लिए 17 पास जारी किए जाएंगे। कुछ वोटिंग मशीनों पर रेंडम चैकिंग के तहत केंद्रीय प्रेक्षक भी वोटों की गिनती करेंगे। जबकि प्रत्येक काउंटिंग टेबल पर एक माइक्रो आ‌र्ब्जवर निगरानी रखेंगे।
जिला निर्वाचन अधिकारी एवं कलेक्टर मनीष रस्तोगी ने यह जानकारी शुक्रवार को पत्रकार वार्ता के दौरान दी। उन्होंने बताया कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के वोटों की गिनती के लिए 14-14 टेबिलें लगेगी। प्रत्येक टेबिल पर विधानसभावार प्रत्याशियों के एक-एक मतगणना एजेंट मौजूद रह सकेंगे। मतगणना के दौरान पीएचक्यू से जेल रोड, एमपी नगर से जेल रोड तथा जहांगीराबाद से जेल रोड जाने वाला मार्ग आम नागरिकों के लिए बंद रहेंगे। मतगणना की गिनती करने वाले कर्मचारियों को सोमवार की सुबह साढ़े छह बजे रिपोर्टिग करना होगी। जबकि इन कर्मचारियों को किस विधानसभा क्षेत्र के कौन से टेबिल पर वोटों की गिनती करना होगी इसके लिए सोमवार की सुबह साढ़े चार बजे डिकोडिंग कर चार्ट लगा दिए जाएंगे। मतगणना वास्ते सात विधानसभा क्षेत्र के लिए अलग-अलग सात रंगों में पास जारी किए जाएंगे। मतगणना स्थल की व्यवस्थाओं का प्रत्याशी शनिवार को दोपहर 12 बजे जायजा ले सकते है। श्री रस्तोगी का कहना है कि जिस विधानसभा के लिए पास जारी किए जाएंगे उस विधानसभा क्षेत्र के अतिरिक्त जेल परिसर में इधर उधर घूमना प्रत्याशियों के एजेंटों को घूमना प्रतिबंधित रहेगा।
मतगणना घोषणा की 21 स्थलों
पर आज होगी टेस्टिंग
जिला निर्वाचन कार्यालय ने पुरानी जेल के साथ ही जिले के 21 स्थानों पर एक साथ मतगणना के प्रत्येक राउंड की घोषणा की व्यवस्था है। इसमें नए और पुराने शहर के 10-10 तथा बैरसिया का एक स्थान शामिल है। जिला निर्वाचन अधिकारी मनीष रस्तोगी ने बताया कि इन स्थानों पर मतगणना घोषणा के लिए किए गए इंतजामों की टेस्टिंग शनिवार को की जाएगी।