आईपीएस अधिकारियों की भविष्य अब काडर रिव्यू पर टिका हुआ है। लंबी मशक्कत के बाद राज्य सरकार ने काडर रिव्यू का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेज दिया है। इसमें आईपीएस का काडर 231 से बढ़ाकर 278 करने का प्रस्ताव है। उधर केन्द्र सरकार ने वर्ष 2008 में आईपीएस की एक भी डीपीसी नहीं करने को कहा है। इससे डीजी के पद रिक्त होने के बावजूद भारतीय पुलिस सेवा के 1975 बैच के अधिकारियों को पदोन्नति के लिए प्रतीक्षा करना पड़ सकती है।
प्रदेश में डीजी वेतनमान का एक पद रिक्त है। यह पद डीजी जेल एआर पवार की सेवानिवृत्तिके बाद रिक्त हुआ है। इस पद को भरने के लिए राज्य सरकार ने वरिष्ठ पदों का हवाला देते हुए केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर डीपीसी के लिए अनुमति मांगी थी। केन्द्र सरकार ने वरिष्ठ अधिकारियों के स्वीकृति से अधिक पद होने के कारण वर्ष 2008 में किसी भी डीपीसी की अनुमति नहीं दी। केन्द्र सरकार का यह पत्र दो दिन पूर्व राज्य सरकार को मिला है। केन्द्र सरकार के इस पत्र से सबसे अधिक नुकसान भारतीय पुलिस सेवा के 1975 बैच के अधिकारियों का होने की संभावना है।
इस बैच में कुख्यात आतंकवादी गाजीबाबा को मारने वाले एडीजी एसएएफ विजय रमन भी शामिल हैं। जबकि दूसरे अधिकारी एडीजी दूरसंचार एचके सरीन हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि रिक्त पद भरने के लिए डीपीसी करने हेतु अनुमति की जरूरत नहीं है। पदोन्नति रोकने के लिए जबरन इस तरह का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा गया था। केन्द्र सरकार के पत्र से आईपीएस अधिकारी काफी नाराज हैं, वे इसके लिए सारा दोष गृह विभाग को दे रहे हैं। इसके पूर्व केन्द्र सरकार ने डीआईजी को आईजी के पद पर पदोन्नति करने के बदले चार अधिकारियों को पदावनत करने को कहा था। केन्द्र सरकार के निर्देश का यदि पालन किया गया तो मध्यप्रदेश के आईपीएस पदोन्नति के मामले में अन्य राज्यों से काफी पीछे चले जाएंगे। प्रदेश के आईपीएस अधिकारियों की निगाहें अब काडर रिव्यू पर टिकी हुई हैं। जिसका प्रस्ताव दो दिन पूर्व राज्य सरकार ने केन्द्र को भेज दिया है। जिसमें प्रदेश में आईपीएस का काडर 231 से बढ़ाकर 278 करने का प्रस्ताव है। वरिष्ठ अधिकारियों के पद 126 से बढ़ाकर 150 किए गए हैं। इसके साथ ही डीजी के पदों की संख्या दो से बढ़ाकर तीन करने का प्रस्ताव है। तीन काडर व तीन एक्स क़ाडर मिलाकर प्रदेश में डीजी वेतनमान के छह अधिकारी रह सकते हैं। वर्तमान में डीजी वेतनमान के चार अधिकारी हैं। आईपीएस के काडर रिव्यू का प्रस्ताव पिछले एक वर्ष से पुलिस मुख्यालय व गृह विभाग के बीच झूल रहा था।
रविवार, 7 दिसंबर 2008
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