आये थे मज़ार पर वो,
दुनियां बदल जाने के बाद।
सर झुकाया भी तो,
हमारे गुज़र जाने के बाद।
अरमां ये थे रू-ब-रू हो,
कुछ तो कह देते ।
बुदबुदाए भी आखिर तो ,
दम निकल जाने के बाद।
हुआ रश्क भी उन पर तो,
फितरत बदल जाने के बाद।
किया इज़हार भी तो,
अलविदा ! कहने के बाद।
रविवार, 21 दिसंबर 2008
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1 टिप्पणी:
इस मज़ार में कबूल हो हर दुआ तुम्हारी |
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