सोमवार, 15 दिसंबर 2008
चंदा सी ...
चंदा सी ठांव होपेड़ों की छाँव होजहाँ देवों के पाँव होंघर ऐसा होना चाहिए।जहाँ कोयल की कूक होपायल की रुनझुन होसरगम की गुनगुन होघर ऐसा होना चाहिए।जहाँ बुजुर्गों का मान होछोटों का सम्मान होआपस में विश्वास होघर ऐसा होना चाहिए।जहाँ स्नेह रूपी माल होकर्म रूपी चाल होमर्म रूपी ज्ञान होघर ऐसा होना चाहिए।जहाँ ईश्वर में आस होधर्म में विश्वास होफर्ज का अहसास होघर ऐसा होना चाहिए।
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