मंगलवार, 6 अप्रैल 2010

एक बार फेर से ब्लॉग लेख रहा हु

mere pyare dosto ek pher se blog lekh rha hu ummed hai ke blog duniya mey eska swaght hoga

गुरुवार, 19 मार्च 2009

कैटरीना-सोनिया के बीच कोई समानता नहीं

दामुल, मृत्युदंड, गंगाजल, अपहरण जैसी सशक्त फिल्म बनाने वाले बॉलीवुड के जाने माने निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा ने कहा कि उनकी आने वाली फिल्म राजनीति में अभिनेत्री कैटरीना कैफ के किरदार और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच साड़ी के अलावा कोई समानता नहीं है।

फिल्म राजनीति में कैटरीना के किरदार और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी की जीवन के बीच समानता से होने के प्रश्न पर प्रकाश झा ने कहा कि फिल्म की कहानी में दोनों के बीच कोई समानता नहीं है। सोनिया जी और कैटरीना में अगर कुछ मिलता जुलता है तो बस वह सुंदर साड़ी है, जो कैटरीना ने फिल्म में पहनी है। उन्होंने कहा कि इस फिल्म की शूटिंग शुरू हो चुकी है और वर्ष 2010 की शुरूआत में यह प्रदर्शन के लिए तैयार होगी। इस फिल्म के लिए प्रकाश झा ने यूटीवी से गठजोड़ किया है। जब उनसे पूछा गया कि क्या राजनीति उनकी अन्य फिल्मों दामुल, मृत्युदंड, गंगाजल और अपहरण की तरह ही समाज का आईना होगी तो उन्होंने कहा कि मैं हमेशा ऐसी फिल्में बनना पसंद करता हूं, जो हमारे आसपास की घटनाओं और सामाजिक सरोकारों से जुड़ी हो।

उन्होंने कहा कि पहले भी मैंने अपनी फिल्मों के जरिए समाज में व्याप्त बुराईयों को सतह पर लाने और लोगों को इनके बारे में गंभीरता से सोचने की ओर उन्मुख करने का प्रयास किया है। प्रकाश झा ने कहा कि राजनीति में भारतीय लोकतंत्र का सही अर्थो में चित्रण करने का प्रयास किया गया है। इस फिल्म में यह दिखाने का प्रयास किया गया है कि किस प्रकार देश में धन बल और शक्ति बल के उपयोग से लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है और गलत काम किया जा है।

नाना पाटेकर, अजय देवगन जैसे कलाकारों को अपनी फिल्मों में बार बार लेने के से संबंधित एक प्रश्न के जवाब में झा ने कहा कि जब नाना पाटेकर, अजय देवगन, नसीर साहब, मनोज वाजपेयी जैसे मंजे हुए कलाकार हों तो काम करने में आसानी होती है और विषयों को सटीक अंदाज में पेश किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि लेकिन ऐसी बात नहीं है कि मैं कुछ ही लोगों के साथ बार-बार काम करता हूं। राजनीति में भी रणवीर कपूर, अर्जुन रामपाल, कैटरीना कैफ जैसे नए लोग मेरे साथ काम कर रहे है। झा ने कहा कि रणवीर ने फिल्म सांवरिया में अच्छा काम किया है और उन्हें उम्मीद है कि फिल्म अच्छी बनेगी। झा ने कहा कि भोपाल की पृष्ठभूमि के साथ इस फिल्म में मध्य प्रदेश के पांच हजार प्रशिक्षित कलाकार काम कर रहे हैं। फिल्म राजनीति वास्तव में मेरी उत्साहजनक और महत्वाकांक्षी परियोजना है।

डीएसपी की पत्नी ने हड़पी रिश्तेदार की जमीन

भोपाल। डीएसपी की पत्नी ने फर्जी कागजात के सहारे अपने ही रिश्तेदार की एक एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया। उन्होंने इस बेशकीमती जमीन को हासिल करने के लिए बहू को रिश्तेदार बता दिया। रातीबड़ पुलिस ने डीएसपी की पत्नी और बहू के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है। पुलिस के मुताबिक सविता पवार पत्नी एसडी पवार (43) होशंगाबाद रोड पर रहती हैं। उनके पति जल संसाधन विभाग में इंजीनियर हैं। पूनम पवार पत्नी एसएस पवार हाउसिंग बोर्ड कालोनी करोंद में रहती हैं। उनके पति रीवा में डीएसपी हैं। एसएस पवार और एसडी पवार रिश्तेदार हैं। वर्ष 1996 में दोनों अधिकारियों ने अपनी-अपनी पत्नी के नाम से रातीबड़ इलाके के ग्राम बिशनखेड़ी में संयुक्त रूप से तीन एकड़ जमीन खरीदी थी। यह जमीन चुन्नीलाल की थी। वर्ष 2003 में डीएसपी की पत्नी पूनम ने सविता के हिस्से की एक एकड़ जमीन जयसिंह नगर निवासी मूलचंद आठिया को बेच दी।

जमीन बेचते समय पूनम ने अपनी बहू कामना पवार को सविता के रूप में प्रस्तुत किया था। कागजात में हस्ताक्षर भी कामना ने किए हैं। जमीन का नामांतरण होने के बाद पूनम ने उक्त जमीन अपने नाम करा ली। रिकार्ड में यह जमीन मूलचंद से खरीदना बताया गया है। जानकारी मिलने पर सविता ने मामले की शिकायत थाने में की थी। पुलिस ने जांच के बाद पूनम व कामना के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है।

पानी पर चुनावी महायुद्ध की तैयारी

bhopal |लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश की इंदौर संसदीय सीट हथियाने को बेचैन कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी पर जलसंकट को लेकर हमले तेज कर दिए हैं। संसदीय सीट के साथ-साथ अभी इंदौर नगर निगम (आईएमसी) और मध्यप्रदेश सरकार पर भाजपा का राज है। शहर में दिनों-दिन गहराते जलसंकट के लिए कांग्रेस ने अपने प्रमुख प्रतिद्वन्द्वी दल के नुमाइंदों की कथित उदासीनता को जिम्मेदार ठहराया है। साथ ही, प्रदेश सरकार से मांग की है कि यहां जलवितरण व्यवस्था पर एस्मा यानी आवश्यक सेवा रख-रखाव अधिनियम लगा दिया जाए। कांग्रेस की स्थानीय इकाई ने चेतावनी दी है कि तीन दिन के भीतर उसकी मांग पूरी नहीं की गई तो वह खुद आईएमसी कार्यालय पर 'पब्लिक एस्मा' का नोटिस चस्पा कर देगी। शहर कांग्रेस प्रवक्ता अभय दूबे ने कहा, 'पानी भरने को लेकर होने वाले विवाद खून-खराबे में तब्दील हो रहे हैं। इंदौर को जलसंकट से निजात दिलाने में भाजपा पूरी तरह नाकाम रही है।' दूबे ने कहा कि अगर प्रदेश की आर्थिक राजधानी में जलवितरण व्यवस्था पर सरकार ने एस्मा नहीं लगाया तो कांग्रेस जनता की ओर से 'एस्मा' का एलान कर देगी और जलसंकट के लिए जिम्मेदार सरकारी कारिंदों से अपनी तरह से निपटेगी। इस बीच, कांग्रेस ने आरोप लगाया है शहर के कुछ भाजपा नेता जनता को पानी बांटने वाले टैंकरों का चुनाव प्रचार में गैर कानूनी इस्तेमाल कर रहे हैं। पार्टी ने इसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करार दिया है और इस बारे में चुनाव आयोग से शिकायत कर दी है।

शनिवार, 28 फ़रवरी 2009

तीन जिलों के लिये आयोजित पुलिस भर्ती निरस्त

विदिशा/भोपाल। मध्यप्रदेश के विदिशा, राजगढ़ और सीहोर जिले के करीब 100 आरक्षक पदों के लिये पिछले दिनों आयोजित पुलिस भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी होने की जांच के बाद इसे निरस्त किया गया है। भोपाल रेंज के पुलिस महानिरीक्षक शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने आज यहां बताया कि भोपाल रेंज में आरक्षकों के करीब 100 पदों के लिये पिछले दिनों भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी। इस भर्ती के पहले रक्षित निरीक्षक देवेन्द्र यादव और सूबेदार मिलन जैन ने कुछ परीक्षार्थियों क ो शारीरिक व्यायाम और लिखित परीक्षा का प्रशिक्षण देने के साथ एक मॉडल परीक्षा पत्र हल भी कराया था। इस परीक्षा पत्र में से करीब 70 प्रतिशत प्रश्न भर्ती परीक्षा पत्र आये थे। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले कुछ का चयन हो जाने पर इस संबंध में कुछ परीक्षार्थियों ने ज्ञापन देकर शिकायत की थी। शिकायत करने के बाद आरोपी यादव ने शिकायतकर्ता परीक्षार्थियों को धमकी दी कि यदि मुझे शिकायत की तो उसका अंजाम बुरा होगा। श्री श्रीवास्तव ने बताया कि इस मामले की जांच भोपाल की अपराध शाखा की उप पुलिस अधीक्षक निमिषा पांडे और विदिशा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रशांत खरे से कराई गई। जांच में उपरोक्त शिकायत सही पाये जाने पर आज भर्ती परीक्षा को निरस्त कर दिया गया है। आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई का कार्य शीघ्र पूर्ण हो जायेगा।

नेपाल में ही रहेंगे पूर्व राजा ज्ञानेंद्र

भोपाल। नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र ने कहा है कि वर्तमान स्थितियों के बावजूद वह अपने देश में ही रहेंगे। निजी यात्रा पर कल रात यहां पहुंचे पूर्व नरेश ने हवाईअड्डा पर संवाददाताओं से कहा कि जब तक वहां की जनता चाहेगी, वह नेपाल में ही रहेंगे और अपना देश नहीं छोडे़ंगे। नेपाल की वर्तमान सरकार के कामकाज के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कोई भी टिप्पणी करने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि इसका जवाब वहां की जनता दे सकती है। पूर्व नरेश अपनी पत्नी के साथ यहां एक विवाह समारोह में शामिल होने के लिए हैं। सूत्रों के अनुसार इसके बाद श्री सिंह बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान जाएंगे और वहां से विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहो होते हुए वापस दिल्ली लौट जाएंगे। सूत्रों का कहना है कि वह सात या आठ मार्च तक मध्यप्रदेश में रुकेंगे।

शुक्रवार, 23 जनवरी 2009

..तो भलमनसाहत में मारे गए अंग्रेज


'पहले आप, पहले आप' के चक्कर में कई लोगों की गाड़ी छूट जाने की कहानियां तो आपने सुनी होंगी। क्या शिष्ट व्यवहार के कारण जिंदगी और मौत की गाड़ी भी छूट सकती है? टाइटेनिक जहाज पर हुए एक शोध में इस बात का खुलासा किया गया है कि इस हादसे में ब्रिटेन के लोग अपनी भलमनसाहत के कारण ही ज्यादा अनुपात में मारे गए।

ब्रिटिश लोग हमेशा से ही अमेरिका के निवासियों की तुलना में खुद के ज्यादा अच्छे स्वभाव पर गर्व करते रहे हैं। लेकिन यही अच्छाई उनके लिए काल बन गई। यूनिवर्सिटी आफ ज्यूरिख के प्रोफेसर ब्रूनो फ्रे ने अपने शोध में दावा किया है कि 1912 में टाइटेनिक जहाज हादसे में मारे गए 225 ब्रिटिश नागरिक अपनी जान बचा सकते थे। दुर्घटना के समय ब्रिटिश नागरिक विनम्रता पूर्वक कतार में खड़े रहे जबकि अमेरिकी उन्हें धक्का देते हुए आगे आकर लाइफ बोट में सवार होकर अपनी जान बचाने में कामयाब हुए थे।

कभी न डूबने वाले जहाज के रूप में प्रचारित टाइटेनिक समुद्र में आइसबर्ग से टकराने के बाद डूबने लगा था। ब्रिटिश नागरिक ऐसी आपात स्थितियों में पहले महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित बाहर निकालने के नियम का पालन करने में लगे थे जबकि अमेरिकी लोग सबको धक्का देकर आगे निकल रहे थे।

प्रोफेसर फ्रे के अनुसार टाइटेनिक के डूबने के समय अंग्रेजों के पास बचने के ज्यादा मौके थे क्योंकि यह जहाज ब्रिटेन में बना था। यही नहीं, यह जहाज ब्रिटिश कंपनी का था और इसके चालक दल के सभी सदस्य भी हमवतन थे। फ्रे का मानना है कि इन कारणों के चलते ब्रिटिश यात्रियों का चालक दल से करीबी रिश्ता था। जाहिर है, उन लोगों को आसानी से लाइफ बोट मिल सकती थी।

प्रो फ्रे द्वारा किए गए विश्लेषण के अनुसार 14 अप्रैल 1912 को टाइटेनिक की पहली और आखिरी यात्रा में हुई इस दुर्घटना में बचने वालों में दूसरे देशों के नागरिकों की तुलना में ब्रिटिश सबसे कम थे। स्विटजरलैंड और आस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं द्वारा आंकड़ों के आधार पर टाइटेनिक के यात्रियों और चालक दल के बचाव में आड़े आए कारकों के इस विश्लेषण में एक साल से ज्यादा का वक्त लगा।

टाइटेनिक में सवार सभी लोगों का 53 फीसदी केवल ब्रिटिश नागरिक थे जबकि बचाए गए 706 लोगों में इनका अनुपात बहुत कम था। बृहस्पतिवार को हुए इस खुलासे का पूरे अमेरिका में तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है। अमेरिकी शोधकर्ताओं के अनुसार प्रो फ्रे का यह दावा अंग्रेजों को ऊंचा दिखाने का एक उदाहरण है। मैसाचुसेट स्थित टाइटैनिक हिस्टोरिकल सोसाइटी के करेन कम्युडा के अनुसार अंग्रेजों ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वे खुद को सुसंस्कृत और बाकी दुनिया को असभ्य समझते हैं। कम्युडा ने कहा कि शोध में किया गया दावा अंग्रेजों की नस्लवादी सोच का परिचायक है।