शनिवार, 3 जनवरी 2009

सच कड़वा लगता हो तो ...

यदि सच कड़वा लगता होतो
पढ़ना बंद कर दो
जिंदगी की किताब...बात
उस समय की है
जब समय नहीं हुआ करता था
सब कुछ पैदा हो गया था
तुम पैदा हो गये थे
बस............ समय नहीं।
...अब भी बहुत समय तक
पैदाइश के ....बहुत बाद तक
बहुत से लोगों का
समय पैदा नहीं होता

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