शनिवार, 3 जनवरी 2009

पाकिस्तान किससे मानेगा - कूटनीति से या कूटने की निति से

आतंक की छावं मे देश चलता रहे और इसके सिवा हम कर ही क्या सकते है । पहली जनवरी का असम मे हुआ धमाका हैप्पी न्यू इयर के शोर मे दब गया । यदि यह धमाका दिल्ली या मुंबई मे होता तो इसकी आवाज़ ज्यादा सुनाई पड़ती । हम और हमारे हुक्मरानों को केवल एक बात आती है आतंक पाकिस्तान प्रयोजित है और पाकिस्तान कड़ी कार्यवाही करे । चोर से चोकीदारी की आशा कही न कही हमारी कायरता की ओर इशारा तो करती ही है । हम कूटनीति कर रहे है वही कूटनीति जो पचासवे दशक में पंडित नेहरू ने कश्मीर के लिए की थी ।हमारा पड़ोसी पकिस्तान कूटनीति नही कूटने की नीति ज्यादा समझेगा ऐसा मुझे ही नही आप को भी विश्वास होगा । यह तो है हमारा सियापा । अब थोडी सी चर्चा एक छोटे से देश की, नाम है उसका इस्रायल मुट्ठी भर लोग और होसला दुनिया से टकराने का । आतंकी खुराफातों से परेशान हो आर पार की लडाई शुरू कर चुका है । हमास को नेस्तनाबूद करने के लिए संघर्ष जारी और उनके मंत्री का बयाँ उनकी इच्छा शक्ति को दर्शाता है । इस्राइल का यह हमला मुंबई हमले मे मरे अपने इस्रायलियो के लिए एक श्रीध्न्जली भी है ऐसा लगता है ।और हम कूटनीति प्रयास कर रहे है अपने अंकल सेम की ओर देख रहे है आंटी राईस पकिस्तान को समझाने आ चुकी है २० जनवरी के बाद यही काम हिलेरी आंटी करेंगी । हमारे भारत के नेता खुश है की कूटनीति कर रहे है और हम भारत के वासी चाह रहे है की पाकिस्तान के लिए कूटने की नीति होनी चाहिए ।

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