भोपाल। हाईटेक होने और प्रदेश की यातायात व्यवस्था सुधारने का दावा करने वाली प्रदेश पुलिस की अंदरूनी हालत काफी खराब है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश के दस जिलों में ट्रैफिक पुलिस का अमला नहीं है। वर्तमान में प्रदेश की यातायात पुलिस को दस हजार बल की दरकार है और उसे महज 2300 पुलिसकर्मियों से काम चलाना पड़ रहा है। पुलिस ने छह महीने पहले इस आशय का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा था, जो मंजूरी का इंतजार कर रहा है।
प्रदेश में उमरिया, अनूपपुर, बड़वानी, हरदा, बुरहानपुर, डिंडोरी, अशोक नगर, श्योपुर, सिंगरौली और अलीराजपुर जिले में यातायात पुलिस के पद स्वीकृत नहीं है। जिन जिलों में यातायात पुलिस बल उपलब्ध है, वहां भी जरूरत के हिसाब से पूर्ति नहीं हो रही है। भोपाल में स्वीकृत बल का बामुश्किल पचास फीसदी अमला मौजूद है। यह स्थिति तब जब ट्रैफिक पुलिस में पद लगभग 25 साल पहले स्वीकृत किए गए थे। अकेले भोपाल जिले को करीब तीन सौ पुलिसकर्मियों की दरकार है। यह स्थिति तब जब कुछ दिन पहले ट्रेनिंग कर आए करीब डेढ़ सौ पुलिसकर्मियों की तैनाती ट्रैफिक पुलिस में की गई है। कमोबेश यही स्थिति इंदौर, उज्जैन, जबलपुर और ग्वालियर जैसे महानगरों की भी है।
सूत्र बताते हैं कि पीटीआरआई के तत्कालीन डायरेक्टर वीके पवार ने ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने और उसे प्रभावी बनाए रखने के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा था। प्रस्ताव में दस हजार पुलिसकर्मी उपलब्ध कराने की मांग की गई है। प्रस्ताव में जिलों को पुलिस बल उपलब्ध कराने के साथ तहसील स्तर पर यातायात पुलिसकर्मियों के पद स्वीकृत करने का भी जिक्र किया गया है।
प्रदेश में जिन चालीस जिलों में यातायात का अमला है, वहां उनकी संख्या मात्र 2300 है। यातायात पुलिस को वर्तमान में दस हजार से अधिक बल की जरूरत है। प्रस्ताव में लगभग तीन हजार पुलिसकर्मियों की मांग जिलों के लिए की है।
तहसील मुख्यालय में नए पद स्वीकृत करने और चौकियों के लिए अलग पुलिस मुहैया कराने की बात भी प्रस्ताव में कही है। सूत्र बताते हैं कि का क्रियान्वयन समिति ने उक्त बल उपलब्ध स्वीकृत करने पर अपनी मुहर लगा दी है। प्रस्ताव में प्रदेश से निकलने वाले नेशनल हाइवे पर 80 पुलिस चौकियां स्थापित करने की जिक्र भी है। नेशनल हाइवे में 80 पुलिस चौकियां स्थापित करने को सरकार ने मौखिक सहमति दे दी थी।
हाइवे चेक पोस्ट पर हर साल पांच पुलिस चौकियां स्थापित करना है, लेकिन यह मसला भी अधर में लटका है। इसके लिए प्रदेश में बनने वाली नई सरकार की मंजूरी का इंतजार होगा। हरियाणा में नेशनल हाइवे पर इसी तरह की पुलिस चौकियां स्थापित हैं। इससे हरियाणा में हाइवे पर होने वाले एक्सीडेंट में मृतकों की संख्या में चालीस फीसदी की कमी आई है। प्रदेश में पचास फीसदी मौतें हाइवे में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में होती हैं।
शनिवार, 29 नवंबर 2008
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