रविवार, 30 नवंबर 2008
शनिवार, 29 नवंबर 2008
दस जिलों में नहीं है ट्रैफिक का अमला
भोपाल। हाईटेक होने और प्रदेश की यातायात व्यवस्था सुधारने का दावा करने वाली प्रदेश पुलिस की अंदरूनी हालत काफी खराब है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश के दस जिलों में ट्रैफिक पुलिस का अमला नहीं है। वर्तमान में प्रदेश की यातायात पुलिस को दस हजार बल की दरकार है और उसे महज 2300 पुलिसकर्मियों से काम चलाना पड़ रहा है। पुलिस ने छह महीने पहले इस आशय का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा था, जो मंजूरी का इंतजार कर रहा है।
प्रदेश में उमरिया, अनूपपुर, बड़वानी, हरदा, बुरहानपुर, डिंडोरी, अशोक नगर, श्योपुर, सिंगरौली और अलीराजपुर जिले में यातायात पुलिस के पद स्वीकृत नहीं है। जिन जिलों में यातायात पुलिस बल उपलब्ध है, वहां भी जरूरत के हिसाब से पूर्ति नहीं हो रही है। भोपाल में स्वीकृत बल का बामुश्किल पचास फीसदी अमला मौजूद है। यह स्थिति तब जब ट्रैफिक पुलिस में पद लगभग 25 साल पहले स्वीकृत किए गए थे। अकेले भोपाल जिले को करीब तीन सौ पुलिसकर्मियों की दरकार है। यह स्थिति तब जब कुछ दिन पहले ट्रेनिंग कर आए करीब डेढ़ सौ पुलिसकर्मियों की तैनाती ट्रैफिक पुलिस में की गई है। कमोबेश यही स्थिति इंदौर, उज्जैन, जबलपुर और ग्वालियर जैसे महानगरों की भी है।
सूत्र बताते हैं कि पीटीआरआई के तत्कालीन डायरेक्टर वीके पवार ने ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने और उसे प्रभावी बनाए रखने के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा था। प्रस्ताव में दस हजार पुलिसकर्मी उपलब्ध कराने की मांग की गई है। प्रस्ताव में जिलों को पुलिस बल उपलब्ध कराने के साथ तहसील स्तर पर यातायात पुलिसकर्मियों के पद स्वीकृत करने का भी जिक्र किया गया है।
प्रदेश में जिन चालीस जिलों में यातायात का अमला है, वहां उनकी संख्या मात्र 2300 है। यातायात पुलिस को वर्तमान में दस हजार से अधिक बल की जरूरत है। प्रस्ताव में लगभग तीन हजार पुलिसकर्मियों की मांग जिलों के लिए की है।
तहसील मुख्यालय में नए पद स्वीकृत करने और चौकियों के लिए अलग पुलिस मुहैया कराने की बात भी प्रस्ताव में कही है। सूत्र बताते हैं कि का क्रियान्वयन समिति ने उक्त बल उपलब्ध स्वीकृत करने पर अपनी मुहर लगा दी है। प्रस्ताव में प्रदेश से निकलने वाले नेशनल हाइवे पर 80 पुलिस चौकियां स्थापित करने की जिक्र भी है। नेशनल हाइवे में 80 पुलिस चौकियां स्थापित करने को सरकार ने मौखिक सहमति दे दी थी।
हाइवे चेक पोस्ट पर हर साल पांच पुलिस चौकियां स्थापित करना है, लेकिन यह मसला भी अधर में लटका है। इसके लिए प्रदेश में बनने वाली नई सरकार की मंजूरी का इंतजार होगा। हरियाणा में नेशनल हाइवे पर इसी तरह की पुलिस चौकियां स्थापित हैं। इससे हरियाणा में हाइवे पर होने वाले एक्सीडेंट में मृतकों की संख्या में चालीस फीसदी की कमी आई है। प्रदेश में पचास फीसदी मौतें हाइवे में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में होती हैं।
प्रदेश में उमरिया, अनूपपुर, बड़वानी, हरदा, बुरहानपुर, डिंडोरी, अशोक नगर, श्योपुर, सिंगरौली और अलीराजपुर जिले में यातायात पुलिस के पद स्वीकृत नहीं है। जिन जिलों में यातायात पुलिस बल उपलब्ध है, वहां भी जरूरत के हिसाब से पूर्ति नहीं हो रही है। भोपाल में स्वीकृत बल का बामुश्किल पचास फीसदी अमला मौजूद है। यह स्थिति तब जब ट्रैफिक पुलिस में पद लगभग 25 साल पहले स्वीकृत किए गए थे। अकेले भोपाल जिले को करीब तीन सौ पुलिसकर्मियों की दरकार है। यह स्थिति तब जब कुछ दिन पहले ट्रेनिंग कर आए करीब डेढ़ सौ पुलिसकर्मियों की तैनाती ट्रैफिक पुलिस में की गई है। कमोबेश यही स्थिति इंदौर, उज्जैन, जबलपुर और ग्वालियर जैसे महानगरों की भी है।
सूत्र बताते हैं कि पीटीआरआई के तत्कालीन डायरेक्टर वीके पवार ने ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने और उसे प्रभावी बनाए रखने के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा था। प्रस्ताव में दस हजार पुलिसकर्मी उपलब्ध कराने की मांग की गई है। प्रस्ताव में जिलों को पुलिस बल उपलब्ध कराने के साथ तहसील स्तर पर यातायात पुलिसकर्मियों के पद स्वीकृत करने का भी जिक्र किया गया है।
प्रदेश में जिन चालीस जिलों में यातायात का अमला है, वहां उनकी संख्या मात्र 2300 है। यातायात पुलिस को वर्तमान में दस हजार से अधिक बल की जरूरत है। प्रस्ताव में लगभग तीन हजार पुलिसकर्मियों की मांग जिलों के लिए की है।
तहसील मुख्यालय में नए पद स्वीकृत करने और चौकियों के लिए अलग पुलिस मुहैया कराने की बात भी प्रस्ताव में कही है। सूत्र बताते हैं कि का क्रियान्वयन समिति ने उक्त बल उपलब्ध स्वीकृत करने पर अपनी मुहर लगा दी है। प्रस्ताव में प्रदेश से निकलने वाले नेशनल हाइवे पर 80 पुलिस चौकियां स्थापित करने की जिक्र भी है। नेशनल हाइवे में 80 पुलिस चौकियां स्थापित करने को सरकार ने मौखिक सहमति दे दी थी।
हाइवे चेक पोस्ट पर हर साल पांच पुलिस चौकियां स्थापित करना है, लेकिन यह मसला भी अधर में लटका है। इसके लिए प्रदेश में बनने वाली नई सरकार की मंजूरी का इंतजार होगा। हरियाणा में नेशनल हाइवे पर इसी तरह की पुलिस चौकियां स्थापित हैं। इससे हरियाणा में हाइवे पर होने वाले एक्सीडेंट में मृतकों की संख्या में चालीस फीसदी की कमी आई है। प्रदेश में पचास फीसदी मौतें हाइवे में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में होती हैं।
31 मतदान केंद्रों पर होंगे आज पुनर्मतदान
भोपाल। प्रदेश के 31 मतदान केन्द्रों पर रविवार को दोबारा मतदान होगा। इसमें सर्वाधिक 19 मतदान केन्द्र भिंड और मुरैना जिले में है। चुनावी हिंसा और वोटिंग मशीनों में गड़बड़ी की शिकायतों के बाद यहां पुनर्मतदान का निर्णय लिया गया है। इसके लिए सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए गए हैं। राज्य चुनाव आयोग के सीईओ जेएस माथुर ने बताया कि भिंड 13, मुरैना में छह, सागर, शाजापुर,शिवपुरी, जबलपुर एवं राजगढ़, सिंगरौली, टीकमगढ़ में चार और इंदौर में दो मतदान केन्द्र शामिल है। मतदान सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक होगा। इन मतदान केन्द्रों पर सुबह सात बजे मॉकपोल भी होगा। श्री माथुर ने बताया कि निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। केन्द्रीय सुरक्षा बल की आठ कंपनियां को वापस बुला लिया गया है। जिन्हें इन मतदान केन्द्रों और उसके आसपास तैनात किया जाएगा। इन मतदान केन्द्रों पर सीआरपीएफ की डयूटी लगाई जाएगी। पड़ोसी राज्यों की सीमा को सील कर दिया गया है। यहां सघन पेट्रोलिंग की जाएगी।
शुक्रवार, 28 नवंबर 2008
अब बीयू का परीक्षा रिकार्ड भी ऑन लाइन
भोपाल। किस दिन कौन-कौन से पेपर हैं और उसमें कितने छात्र शामिल हो रहे हैं, इस तरह की किसी भी जानकारी के लिए परीक्षा केंद्रों को अब दौड़ धूप करने की जरूरत नहीं है। परीक्षा के दौरान हर सेंटर्स पर सुबह-सुबह यह सारी जानकारी पहुंच जाएगी। जरूरत होगी तो सिर्फ कंप्यूटर खोलने की। इतना ही नहीं किस पेपर में कितने छात्र आए और कितने नकल प्रकरण बने, यह डेली रिकार्ड भेजने के लिए कालेजों को भी विश्वविद्यालय तक भागना नहीं पड़ेगा।
अपनी कार्य प्रणाली को लगातार हाईटेक बनाने वाला बरकतउल्ला विश्वविद्यालय अब परीक्षा कार्य को भी अपनी वेबसाइट से जोड़ रहा है। इसके लिए विश्वविद्यालय ने एक एडवांस साफ्टवेयर तैयार कराया है। इस साफ्टवेयर का पहली बार इस्तेमाल 16 दिसंबर से शुरू हो रही सेमेस्टर परीक्षा में किया जाएगा। इसका लाभ परीक्षार्थियों और परीक्षा केंद्रों को तो मिलेगा ही, विश्वविद्यालय प्रशासन की परेशानी भी काफी हद तक दूर हो जाएगी। इस साफ्टवेयर के जरिए परीक्षा के दौरान प्रत्येक परीक्षा सेंटर को रोजाना उस दिन होने वाले पेपर्स का टाइम टेबल वेबसाइट पर लोड कर दिया जाएगा। टाइम टेबल में उस दिन होने वाले सभी पेपर और उनके समय के अलावा उन पेपर्स में बैठने वाले छात्र-छात्राओं की सूची भी वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाएगी। सभी सेंटर्स को निर्देश दिया जा रहा है कि वे रोज सुबह वेबसाइट खोलकर अपने कालेज से जुड़ी जानकारी डाउन लोड कर लें।
कालेज से ही जमा हो जाएगा अटेंडेंस रिकार्ड
कालेजों को भेजी जाने वाली परीक्षार्थियों की सूची के साथ उपस्थिति पत्रक भी रहेंगे। इसमें तीन विकल्प रहेंगे। उपस्थित, अनुपस्थित और नकल प्रकरण । कालेज प्रशासन द्वारा तीनों विकल्प के आगे संख्या डालकर कंप्यूटर के माध्यम से ही विश्वविद्यालय को मेल कर दिया जाएगा। अभी तक कालेजों को परीक्षा होते ही रोजाना रिपोर्ट लेकर विश्वविद्यालय तक आना पड़ता था। राजगढ़, ब्यावरा, बैतूल, खिलचीपुर, हरदा आदि दूरस्थ स्थानों के सेंटरों से एक-एक सप्ताह में जानकारी आ पाती थी। अब पेपर खत्म होते ही रोजाना पूरा रिकार्ड मिल जाएगा। इससे रिजल्ट बनाने के कार्य में भी तेजी आएगी।
प्रत्येक सेंटर को मिलेगा कोड
इस पूरी प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा प्रत्येक परीक्षा सेंटर्स को एक गुप्त कोड दिया जाएगा। विश्वविद्यालय की वेबसाइट में परीक्षा टाइम टेबल खोलने के बाद सभी सेंटर को अपना कोड डालना होगा। इससे वे अपने कालेज से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। उसी कोड के जरिए वे डेली रिकार्ड विश्वविद्यालय को भेज सकेंगे।
दस को होगी ट्रेनिंग
इस नए साफ्टवेयर के संबंध में सभी प्राचार्यो और परीक्षा केंद्र प्रभारियों को 10 दिसंबर को ट्रेनिंग दी जाएगी। यह एक दिवसीय प्रशिक्षण विश्वविद्यालय में ही आयोजित किया जाएगा। इसमें साफ्टवेयर बनाने वाले कंप्यूटर एक्सपर्ट इससे जुड़ी सभी जानकारी प्राचार्यो को देंगे।
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परीक्षा कार्य को सरल बनाने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय ने यह साफ्टवेयर तैयार कराया है। इससे कालेजों के साथ-साथ छात्र और विश्वविद्यालय खुद भी लाभांवित होगा। सेमेस्टर पैटर्न में यह साफ्टवेयर काफी लाभदायक साबित होगा। इसे अन्य परीक्षाओं में भी लागू किया जाएगा।
डॉ.संजय तिवारी, रजिस्ट्रार बीयू
अपनी कार्य प्रणाली को लगातार हाईटेक बनाने वाला बरकतउल्ला विश्वविद्यालय अब परीक्षा कार्य को भी अपनी वेबसाइट से जोड़ रहा है। इसके लिए विश्वविद्यालय ने एक एडवांस साफ्टवेयर तैयार कराया है। इस साफ्टवेयर का पहली बार इस्तेमाल 16 दिसंबर से शुरू हो रही सेमेस्टर परीक्षा में किया जाएगा। इसका लाभ परीक्षार्थियों और परीक्षा केंद्रों को तो मिलेगा ही, विश्वविद्यालय प्रशासन की परेशानी भी काफी हद तक दूर हो जाएगी। इस साफ्टवेयर के जरिए परीक्षा के दौरान प्रत्येक परीक्षा सेंटर को रोजाना उस दिन होने वाले पेपर्स का टाइम टेबल वेबसाइट पर लोड कर दिया जाएगा। टाइम टेबल में उस दिन होने वाले सभी पेपर और उनके समय के अलावा उन पेपर्स में बैठने वाले छात्र-छात्राओं की सूची भी वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाएगी। सभी सेंटर्स को निर्देश दिया जा रहा है कि वे रोज सुबह वेबसाइट खोलकर अपने कालेज से जुड़ी जानकारी डाउन लोड कर लें।
कालेज से ही जमा हो जाएगा अटेंडेंस रिकार्ड
कालेजों को भेजी जाने वाली परीक्षार्थियों की सूची के साथ उपस्थिति पत्रक भी रहेंगे। इसमें तीन विकल्प रहेंगे। उपस्थित, अनुपस्थित और नकल प्रकरण । कालेज प्रशासन द्वारा तीनों विकल्प के आगे संख्या डालकर कंप्यूटर के माध्यम से ही विश्वविद्यालय को मेल कर दिया जाएगा। अभी तक कालेजों को परीक्षा होते ही रोजाना रिपोर्ट लेकर विश्वविद्यालय तक आना पड़ता था। राजगढ़, ब्यावरा, बैतूल, खिलचीपुर, हरदा आदि दूरस्थ स्थानों के सेंटरों से एक-एक सप्ताह में जानकारी आ पाती थी। अब पेपर खत्म होते ही रोजाना पूरा रिकार्ड मिल जाएगा। इससे रिजल्ट बनाने के कार्य में भी तेजी आएगी।
प्रत्येक सेंटर को मिलेगा कोड
इस पूरी प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा प्रत्येक परीक्षा सेंटर्स को एक गुप्त कोड दिया जाएगा। विश्वविद्यालय की वेबसाइट में परीक्षा टाइम टेबल खोलने के बाद सभी सेंटर को अपना कोड डालना होगा। इससे वे अपने कालेज से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। उसी कोड के जरिए वे डेली रिकार्ड विश्वविद्यालय को भेज सकेंगे।
दस को होगी ट्रेनिंग
इस नए साफ्टवेयर के संबंध में सभी प्राचार्यो और परीक्षा केंद्र प्रभारियों को 10 दिसंबर को ट्रेनिंग दी जाएगी। यह एक दिवसीय प्रशिक्षण विश्वविद्यालय में ही आयोजित किया जाएगा। इसमें साफ्टवेयर बनाने वाले कंप्यूटर एक्सपर्ट इससे जुड़ी सभी जानकारी प्राचार्यो को देंगे।
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परीक्षा कार्य को सरल बनाने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय ने यह साफ्टवेयर तैयार कराया है। इससे कालेजों के साथ-साथ छात्र और विश्वविद्यालय खुद भी लाभांवित होगा। सेमेस्टर पैटर्न में यह साफ्टवेयर काफी लाभदायक साबित होगा। इसे अन्य परीक्षाओं में भी लागू किया जाएगा।
डॉ.संजय तिवारी, रजिस्ट्रार बीयू
वीआईपी बूथ वीआईपी वोटिंग
भोपाल। प्रदेश में सत्ता की बागडोर संभालने वाले मंत्री, नेता और आला अफसरों की रिहाइशगाह चार इमली में वोटिंग का पैटर्न भी अलग ही रहा। अपने कामकाज को देखते हुए इन अफसरों को जब-जब समय मिला वे वोट डाल गए। कोई अकेला आया तो किसी ने सपरिवार वोट कर इस राष्ट्रीय कर्तव्य को अंजाम दिया। यहां का उद्घाटन वोट एडीजी बीएम कंवर ने डाला, जो सुबह सात बजकर पचपन मिनट पर ही पोलिंग बूथ पर पहुंच गए थे। मुख्य सचिव राकेश साहनी ने सुबह दस बजे अपने मताधिकार का प्रयोग किया। प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा सेवाराम ने भी अपना कर्तव्य सुबह ही पूरा कर लिया, इन्होंने आठ बजकर पांच मिनट पर ईवीएम का बटन दबाया। इसके पहले रिटायर्ड आइएएस एसएस उप्पल ने लगभग आठ बजे सपत्नीक वोट डाला। करन विजय सिंह और एवी सिंह ने दोपहर डेढ़ बजे वोट डाला जबकि प्रशासन अकादमी की डीजी माला श्रीवास्तव ने दोपहर बारह बजे सरकार बनाने में अपना योगदान दिया। संभाग आयुक्त पुखराज मारू ने भारी व्यस्तता के बावजूद ढाई बजे समय निकाल ही लिया, जबकि खेल एवं युवक कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव रंजना चौधरी तीन बजे वोट डालने आई। इसी बीच वरष्ठि आईएएस सूरज प्रकाश सपत्नीक वोट डालकर गए। मुख्यमंत्री सचिवालय में सचिव अनुराग जैन बारह बजे के पहले वोट डाल चुके थे, जबकि संजय बंदोपाध्याय ने सुबह साढ़े आठ अपने मताधिकार का उपयोग किया।
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